संज्ञान और संवेग -
संवेग की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Emovere शब्द से हुई है , इसका तात्पर्य है उत्तेजित
दशा।
परिभाषा -
" संवेग व्यक्ति की
उत्तेजित दशा है। " - वुडवर्थ
" रागात्मक प्रवृत्ति के
वेग के बढ़ने को संवेग कहते हैं। " - वेलेन्टाइन
( When feelings become intense , we have
emotions. )
" संवेग क्रियाओं का
उत्तेजक है। " - गेलडार्ड
सांवेगिक बुद्धि की बात सर्वप्रथम -
सैलोवे तथा मेयर ने की ( 1990
)
सांवेगिक बुद्धि ( Book ) - डेनियल गोलमैन ( 1995 )
संवेग के तीन पक्ष हैं -
अनुभवात्मक
शारीरिक
व्यवहारात्मक
विशेषताएं -
तीव्रता
व्यापकता
वैयक्तिकता
संवेगात्मक दशा
संवेगात्मक सम्बन्ध
स्थानांतरण
सुख या दुःख की भावना
विचार शक्ति का लोप
पराश्रयी रूप
स्थिरता की प्रवृत्ति
क्रिया की प्रवृत्ति
व्यवहार में परिवर्तन
मानसिक दशा में परिवर्तन
आतंरिक शारीरिक दशा में परिवर्तन
बाह्य शारीरिक परिवर्तन
संवेगों के प्रकार -
भय
घृणा
वात्सल्य
करुणा व दुःख
कामुकता
आश्चर्य
आत्महीनता
आत्माभिमान
एकाकीपन
भूख
अधिकार भावना
कृति भाव
आमोद
प्रेम
पॉल एकमैन के अनुसार छः संवेग सभी जगह अनुभव किये जाते हैं और ( Facial Expression से पहचाने जा सकते हैं ) -
क्रोध
भय
प्रसन्नता
दुःख
आश्चर्य
विरूचि / घृणा
रॉबर्ट प्लुचिक
के अनुसार 8
मूल संवेग होते हैं , जो चार परस्पर विरोधी
जोड़े में होते हैं -
हर्ष - विषाद / Joy - Sadness
स्वीकृति - विकृति / Trust - Disgust
क्रोध - भय / Anger - Fear
आश्चर्य -पूर्वाभास / Surprise -
Anticipation
इज़ार्ड ने 10 मूल संवेगों का समुच्चय प्रस्तुत किया -
हर्ष / Joy
आश्चर्य / Surprise
क्रोध / Anger
विरूचि / Disgust
अवमान / निंदा / Contempt
भय / Fear
शर्म / Shame
अपराध / Guilt
अभिरुचि / Interest
उत्तेजना / Excitement
( असत्य का संसूचन करने वाले
यन्त्र को - पॉलीग्राफ कहा जाता है )
संज्ञान और संवेग एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं।
केवल ज़जोंक ( Zajonc ) का मानना है की
संज्ञान और संवेग अलग-अलग हैं।
मैक्डूगल ने 14 मूल
प्रवृत्तियों के आधार पर संवेगों के अभिव्यक्ति की बात
की।
J. B. वाटसन ने तीन जन्मजात तथा
मौलिक संवेगों की बात की -
Fear - भय ( तीव्र आवाज से या
किसी प्रकार का समर्थन हटा लेने से )
Anger - क्रोध ( शारीरिक
क्रियाओं में बाधा से )
Love - प्रेम ( त्वचा को सहलाने
या थपथपाने से )
ब्रिजेज ( महिला मनोवैज्ञानिक ) के अनुसार -
24 माह तक शिशुओं में सभी
प्रमुख संवेग - क्रोध , भय ,अनुराग आ
जाते हैं।
जन्म के समय सामन्य आवेश पाया जाता है।
3 महीने की उम्र तक उनमे दो
संवेग दुःख तथा आनंद प्राप्त होते हैं।
16 माह के लगभग शिशुओं में
ईर्ष्या / डाह का संवेग दुःख के सम्वेह से उत्पन्न होता है।
24 माह में आनंद से हर्ष का
संवेग उत्पन्न होता है।
प्रारंभिक बाल्यावस्था ( 2 से 6
वर्ष ) में मूलतः 8 प्रकार के संवेग देखने को
मिलते हैं
क्रोध - जलन
डर - हर्ष
डाह - दुःख
उत्सुकता - अनुराग
Physiology Of Emotions -
Thalamus / चेतक -
यह तंत्रिका कोशिकाओं के समूह से संगठित होता है तथा संवेदी
तंत्रिकाओं के प्रसारण केंद्र का कार्य करता है। Stimulation Of thalamus
produces fear , anxiety and autonomic reaction . संवेग का
कैनन-बार्ड सिद्धांत इस बात पर बल देता है कि चेतक की भूमिका समस्त संवेगों को
प्रारम्भ करने तथा चलाये रखने में महत्वपूर्ण हैं।
Hypothalamus / अधश्चेतक - यह
संवेगों के नियमन का प्रत्मिक केंद्र समझा जाता है , यह
समस्थिति संतुलन का नियमन भी करता है। स्वायत्त क्रियाओं तथा अन्तः स्रावी
ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित करता है तथा संवेगात्मक व्यवहारों के दैहिक रूप
को व्यवस्थित करता है।
Limbic System / उपवल्कुटीय
तंत्र - चेतक तथा अधश्चेतक के साथ उपवल्कुटीय तंत्र भी
संवेगों के नियमन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गलतुण्डिका ( Amygdala
) उपवल्कुटीय व्यवस्था का एक भाग है जो संवेगात्मक नियंत्रण के लिए
उत्तरदायी है तथा संवेगात्मक स्मृतियों के निर्माण में अन्तर्निहित है।
Cortex / वल्कुट - संवेगों में
वल्कुट अत्यंत घनिष्ट रूप से अन्तर्निहित है। किन्तु इसके गोलार्ध परस्पर विरोधी
भूमिका निभाते हैं। Left Frontal Cortex is associated with positive
Feelings while Right Frontal Cortex is associated with negative feelings.
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